सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने पर जेल से जमानत पर रिहा होना मुश्किल होने वाला है। लॉ कमिशन की सिफारिश के अनुसार इस तरह के मामले में जमानत से पहले जुर्माना भरने की सिफारिश की गई है। यह जुर्माना सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के कीमत के बराबर हो सकता है।
लॉ पैनल की रिपोर्ट में बताए गए जुर्माने का मतलब उस राशि से है, जो डैमेज हुई प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के बराबर होगी। अगर इस प्रॉपर्टी की वैल्यू निकाल पाना संभव न हो, तो इसका टोटल अमाउंट अदालत तय कर सकती है। इतना ही नहीं, पैनल ने कहा कि इस बदलाव को लागू करने के लिए सरकार एक अलग कानून ला सकती है।
पैनल ने बताया कि केरल में निजी संपत्ति को नुकसान की रोकथाम और मुआवजा भुगतान अधिनियम बनाया गया है। सरकार इसे भारतीय न्याय संहिता के लागू प्रावधानों में बदलाव करके या जोड़कर भी वसूल सकती है।
आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने वालों की जमानत शर्त और कड़ी होनी चाहिए। जब तक आरोपी सार्वजनिक संपत्ति का अनुमानित मूल्य नहीं जमा कर देते, उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने 2015 में पीडीपीपी अधिनियम में बदलाव का एक प्रस्ताव रखा था। गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2015 का एक मसौदा जारी किया और इस पर आपत्ति और सुझाव मांगे थे। हालांकि, मूल अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया गया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारे देश में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पहुंचाने की घटना दुर्भाग्य से बड़े पैमाने पर होती है और यह लगातार जारी है ।