घर या जमीन खरीदने से पहले उससे जुड़े डॉक्यूमेंट्स की जाँच पड़ताल बेहद ही ज़रूरी है. वैसे देखा जाए तो आमतौर पर ज़मीन के मामले में पट्टे वाली ज़मीन और रजिस्ट्री वाली जमीन जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं, लेकिन ज़मीन ख़रीदते समय इनमें से किसका चुनाव करना चाहिए साथ ही पट्टे और रजिस्ट्री में क्या अंतर होता है चलिए आपको बताते हैं.
आख़िर क्या है पट्टे वाली जमीन?
दरअसल, सरकार की ओर से देश की स्थितियों और नई-नई योजनाओं के तहत लोगों को जमीन का पट्टा दिया जाता है. इस पट्टे के तहत भूमिहीन परिवारों को आवास के लिए छोटी सी सरकारी मदद दी जाती है. ऐसी जमीन पर सरकारी के अलावा किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं होता. सरकार किसी मकसद से ये जमीन गरीब परिवारों को पट्टे पर देती है, लेकिन इस पर जमीन का मालिकाना हक उस परिवार को बिल्कुल भी नहीं मिलता.
ये बातें भी जानना है बेहद ज़रूरी –
1.पट्टा सरकार की ओर से तय किए गए नियमों के अलग-अलग प्रकार पर निर्भर करता है.
2.पट्टे कई प्रकार के होते हैं, जिसकी अवधि सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होती है.
3.पट्टे वाली संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को ना ही बेच जा सकता है और ना ही ट्रांसफर किया जा सकता है.
4.जमीन को बेचने की सुविधा व्यक्ति को दिए गए पट्टे के प्रकार पर निर्भर करती है.
5.तय समय सीमा के बाद निर्धारित प्रक्रिया के साथ व्यक्ति को उसका नवीनीकरण करा के पट्टा दोबारा से लेना पड़ता है.
6.सरकार द्वारा तय मापदंडों एवं शर्तों के अनुसार पट्टा स्थानीय निकाय द्वारा जारी किया जाता है.
रजिस्ट्री वाली जमीन
रजिस्ट्री होने पर क्रेता को अपनी संपत्ति किसी और व्यक्ति के नाम ट्रांसफर करने या बेचने का अधिकार होता है. रजिस्ट्री में विक्रेता, खरीददार और गवाह की जरूरत होती है. रजिस्ट्री के बाद क्रेता उस जमीन का मालिक होता है, फिर उसकी मरम्मत और रखरखाव की भी जिम्मेदारी खरीददार की ही होती है.